आज के समय में जब युवा नौकरी (Job) की तलाश में शहरों की ओर दौड़ते हैं, वहीं मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के छोटे से गाँव रोहना की रहने वाली नंदिता राजपूत (Nandita Rajput) ने अलग रास्ता चुना। उन्होंने साबित किया कि अगर हिम्मत और आत्मविश्वास हो, तो गाँव में रहकर भी बड़ा सपना पूरा किया जा सकता है।
कृषि स्नातक नंदिता ने क्यों चुना पोल्ट्री फार्मिंग का रास्ता:
नंदिता ने जवाहरलाल नेहरू कृषि महाविद्यालय, पवारखेड़ा से बी.एससी एग्रीकल्चर (हॉन्स) की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह किसी नौकरी के बजाय अपना खुद का बिज़नेस (Business) शुरू करेंगी।
परिवार के साथ रहकर उन्हें सहारा देने और गाँव में ही कुछ नया करने की चाह ने उन्हें पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) की ओर प्रेरित किया।
गाँव में पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करने पर आने वाली चुनौतियाँ:
जब नंदिता ने पोल्ट्री फार्मिंग का शेड बनवाना शुरू किया तो गाँव के लोगों ने तरह-तरह की बातें कीं।
किसी ने कहा – “इतनी पढ़ाई लिखाई का क्या फायदा? यह तो अनपढ़ भी कर सकते हैं।”
लेकिन नंदिता जानती थीं कि उनका एग्रीकल्चर नॉलेज इस काम में बहुत काम आएगा।
पहला बैच उनके लिए कठिन साबित हुआ। धूप की वजह से फार्म का फाइबर गेट कमजोर हो गया और कुत्तों के अंदर घुस जाने से सारे पक्षी मर गए। यह घटना तब हुई जब बिक्री का समय नज़दीक था। इतना बड़ा नुकसान देखकर वह भावुक हो गईं। लोगों ने और ज्यादा ताने दिए कि इस काम से कभी फायदा नहीं होगा।
पहली असफलता से मिली सीख और पिता का मजबूत सहारा:
निराशा के समय नंदिता के पापा उनके साथ मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने कहा –
“यही वक्त है खुद को साबित करने का। दिखाओ कि लड़कियाँ भी किसी से कम नहीं हैं।”
इन शब्दों ने नंदिता को नई ऊर्जा दी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, फार्म में कमियाँ ठीक करवाईं और पूरी हिम्मत के साथ फिर से शुरुआत की।
पोल्ट्री फार्मिंग में पहली सफलता और मुनाफे की शुरुआत:
नई शुरुआत ने अच्छे नतीजे दिए। नंदिता ने:
- खुद दुकानदारों से संपर्क किया
- विजिटिंग कार्ड बाँटे
- सीधे ग्राहकों तक पहुँचीं
नतीजा:
- 500 पक्षियों पर लगभग ₹46,000 का शुद्ध मुनाफ़ा
- दूसरा लॉट 1000 पक्षियों का सफल रहा
- तीसरा बैच भी निकल चुका है
कैसे बदला समाज का नजरिया और बढ़ा आत्मविश्वास:
शुरुआत में जो लोग ताने मारते थे, वही लोग अब नंदिता की तारीफ़ करने लगे। उनके नजरिए में बदलाव आया क्योंकि सफलता ने सबको जवाब दे दिया।
नंदिता के धैर्य और मेहनत ने यह साबित किया कि अगर लक्ष्य साफ हो और हिम्मत मजबूत, तो समाज भी बदलता है।
नंदिता राजपूत का संदेश : लड़कियाँ भी बन सकती हैं सफल एग्री एंटरप्रेन्योर:
नंदिता कहती हैं –
“अगर मैं असफलता के समय हार मान लेती और लोगों की बातें दिल से लगा लेती, तो कभी कुछ हासिल नहीं कर पाती। सफलता देखकर समाज भी बदल जाता है। इसलिए अपने सपनों को कभी मत छोड़िए।”
उनका मानना है –
“डूबते सूरज को कोई प्रणाम नहीं करता, लेकिन उगते सूरज को सब प्रणाम करते हैं। सही समय का इंतज़ार कीजिए और अपने काम को 100% दीजिए।”
संघर्ष से सफलता तक : नंदिता की अटूट हिम्मत की मिसाल:
नंदिता राजपूत की यह यात्रा केवल पोल्ट्री फार्मिंग की सफलता नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो चुनौतियों से डरते हैं।
गाँव की बेटी ने यह दिखा दिया कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी हों, मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से हर सपना पूरा किया जा सकता है।
उनकी कहानी बताती है कि सफल एग्री एंटरप्रेन्योर बनने के लिए सबसे जरूरी है – हार न मानना और अपने लक्ष्य पर डटे रहना।